Ipo क्या होता है ? और यह कैसे लाभ देता है ?

जब हम बात IPO की कर रहे है तो साल 2021 से लेकर अभी तक अगर IPO का साल कहें तो कुछ ग़लत नहीं होगा. शेयर MARKET की बात करे तो हफ्ते में तक़रीबन 2-4 IPO लॉन्च हो रहे है और आगे भी एक बड़ी लंबी लाइन है. पिछले कुछ हफ्तों में 3-4 IPO तक एक साथ लॉन्च हुए. 

अब ऐसे में सबके मन में यही सवाल आता है ऐसे में इन IPO में कैसे अप्लाई किया जाये
चलिए आज में बताऊंगा आईपीओ का A TO Z प्रोसेस…

सबसे पहले तो हमको ये जानना होगा की IPO क्या होता है?

देश में कई फर्म या कंपनीया काम कर रही है जब भी कोई कंपनी अपने बिज़नेस को एक्सपान्ड करती है तो फण्ड की ज़रूरत को पूरा करने के लिए ये ख़ुद को शेयर MARKET में लिस्ट कराती है जिसका सबसे कारगर तरीक़ा है IPO यानी इनिशियल पब्लिक ऑफर जारी करना

शेयर बाज़ार में लिस्ट करने के लिए जो प्राइवेट कंपनी IPO लाती है दरअसल वे बड़ी संख्या में आम नागरिको निवेशकों और अन्य को कम्पनी के शेयर अलॉट करती है सामान्य भाषा में समझे तो उस कंपनी का मालिकाना हक़ उसे चलाने वाला परिवार या शेयर होल्डर नहीं होते है बल्कि वह सब होते जिनको IPO में SHARE अलॉट होता है

IPO में जो भी शेयर मिलते है वह स्टॉक एक्सचेंज BSE (Bombay Stock Exchange) और NSE (National Stock Exchange of India) पर लिस्ट होते है जहा पर इन शेयरों को आसानी से खरीदी बिक्री कर सकते है

अब समझते है IPO कैसे लाया जाता है और कैसे निवेशको के हितो की सुरक्षा होती है?


जब भी कोई कंपनी अपना IPO लाने का डिसीजन लेती है तो उसे मार्केट रेग्युलेटर SEBI (Securities and Exchange Board of India) के नियमो का पालन करना पड़ता है इन सब नियमो की पूर्ति के लिए कंपनी एक मर्चेंट बेंकर अपॉइंट करती है ये बेंकर SEBI में रजिस्ट्रड होते है और वही आईपीओ के लिए ज़रूरी डॉक्यूमेंट इकट्ठा करके फिर आईपीओ के लिए अप्लाय करते है

SHARE MARKET में  लिस्ट कराने के लिए कंपनी को क्या-क्या ज़रूरत होती है?

IPO लाने वाली कंपनी को SEBI के पास आवेदन के लिए कुछ DOCUMENT जमा करवाने होते है इसे Draft Red Herring Prospectus (DRHP) के नाम से जाना जाता है किसी भी कंपनी के आईपीओ का DRHP मतलब उस कंपनी उसके शेयर धारक,उसकी फाइनेंसियल कंडीशन, कंपनी के डॉक्यूमेंट,क़ानूनी कागजात,उस पर कर्ज़,IPO से मिलने वाले पैसो का उपयोग,कंपनी से जुड़े जोखिम वगेरा की जानकारी देता है SEBI इसका अससेमेंट करती है और सब कुछ अगर सही होता है तो कंपनी को IPO लाने की अनुमति मिल जाती है

सेबी से आईपीओ लाने की अनुमति मिलने के बाद कंपनी अपने शेयरों के लिए बोलियाँ मंगवाती है इसमें तरह-तरह के निवेशकों जैसे कि Qualified Institutional Investors,High net-worth individuals (HNIs) / Non-institutional investors (NII),Retail investors और अन्य के लिए शेयर रिजर्व रखे जाते है किसी भी कंपनी का IPO तीन दिन के लिए ओपन होता है

अब जानने की कोशिश करते है IPO में कैसे इन्वेस्ट कर सकते है?

किसी INVESTOR को आईपीओ में INVEST करने के लिए DEMAT ACCOUNT की ज़रूरत होती है DEMAT ACCOUNT आप किसी भी ब्रोकिंग Firm में खोल सकते है लेकिन ध्यान रहे है ब्रोकिंग फर्म जानी-मानी होनी चाहिए है आपको जो शेयर अलॉट होंगे ओ पेपर फॉर्म में नहीं बल्कि डिजिटल फॉर्म में होता है इसी लिए IPO में इन्वेस्ट के लिए  DEMAT ACCOUNT  होना Compulsory है.

IPO के लिए अप्लाई के लिए फण्ड कैसे लगता है?

IPO में INVEST करने के लिए आप कोई चेक या नगद पेमेंट नहीं कर सकते डीमैट खाता खोलते समय आप का एक Bank account demat account  से लिंक होता है इसी बैंक खाते से IPO के सारे लेन-देन होते है जब भी आप किसी IPO के लिए अप्लाय करते है तो उतनी रक़म आपके बैंक अकॉउंट में ब्लॉक कर दी जाती है और शेयर की लिस्टिंग के बाद अगर आपको शेयर अलॉट नहीं होता है तो फण्ड फिर से अनब्लॉक हो जाता है हर आईपीओ के लिए कंपनी शेयर का एक ISSUE PRICE फिक्स करती है एक  Retail investors IPO  में एक बार में 2 लाख तक ही INVEST कर सकता है

IPO में इन्वेस्ट करने के बाद शेयर का अलॉटमेंट IPO बंद होने के बाद होता है IPO  बंद होने बाद सारी अप्लाई BIDS का असेसमेंट होता है और अगर कोई BID ग़लत होती है तो शेयर Allot नहीं होता है अगर किसी IPO के टोटल जारी शेयर के मुकाबले कम शेयर या उतने ही शेयरों की बोली मिलती है तो सभी इन्वेस्टर को उनकी बोली के हिसाब से शेयर अलॉट हो जाते है वही जब कोई IPO ओवर सब्सक्राइब होता है तो शेयरों का अलॉटमेंट प्रो-राटा बेस होता है.

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